श्याम मेरी देदो चुनरियाँ मैं वृन्दावन कैसे जाऊ गी,
वृन्दावन कैसे जाऊ गी मैं गोकुल कैसे आउंगी,
करो न मुझसे ठिठोलियाँ मैं वृन्दावन कैसे जाऊ गी,
हरी कांच की चूड़ियाँ मोरी कान्हा पकड़ ले बहियाँ मोरी,
यु न सताओ नन्द लाला मैं वृन्दावन कैसे जाऊ गी,
खोई रहू कान्हा प्रेम की धुन में कोई दवाई इस रोग की देदे,
कदम की बैठू न छैयां मैं वृन्दावन कैसे जाऊ गी,
मन मंदिर में मूरत तेरी किस किसको समजाऊ गी,
कुछ पल ठेहरी तो कान्हा मैं वृन्दावन कैसे जाऊ गी,