आज किसने सजाया कान्हा

तर्ज-इस जंहा की नहीं हे तुम्हारी आंखे

आज किसने तुमको सजाया कान्हा
चाँद धरती पे किसने उतारा कान्हा
आज किसने तुमको.....................

तेरा सांवल सा मुखड़ा,ये बांकी अदा
तेरी चितवन पे कान्हा हुए हम फ़िदा
हमने रह रह के तुझको निहारा कान्हा
आज किसने तुमको .............

रूप राशि का गहरा समुन्द्र हे तू
किस जुबा से कहे,कितना सुन्दर हे तू
चैन दिल से चुराया हमारा कान्हा
आज किसने तुम्को........

तेरे भक्तो पे किसी ये मदहोसिया
होश खो बैठे छाई हे बेहोसिया
हर्ष वस् में जिया ना हमारा कान्हा
आज किसने तुमको..................
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