बार बार मैंने श्याम धनि तेरे आगे अर्ज लगाई,
तड़प तड़प के मैं रोऊ क्यों करता न सुनवाई,
संवारे क्या है खता संवारे ॥
कलयुग का मैं बंदा बाबा तेरी शरण में आया,
चकर काट काट के बाबा मेरा सिर चकराया,
हारे का तू साथ निभाए ये दुनिया देती दुहाई,
तड़प तड़प के मैं रोऊ...
साँची बात बताऊ बाबा ना दिल में मेरे खोट से,
सब जग घूमके देखा बाबा इज्जत केवल नोट से,
नोट अगर मेरे भोरे होते दुनिया करे बड़ाई,
तड़प तड़प के मैं रोऊ......
रिश्ते नाते सारे छुटे छुटे संगी साथी,
रात दिना मेरा सारा कुंवा थोपे मेरी शाती,
मेरा से के चावे से तू मुझमे कुंसी बुराई,
तड़प तड़प के मैं रोऊ....
साफ़ साफ़ मेरी तू सुनले और सजन मैं करू ना,
खाटू आकर के बाबा तेरी चोकथ पे ही मरू गा,
श्याम नाम को भजते भजते दुनिया से वदाई,
तड़प तड़प के मैं रोऊ...