हे नाथ संभालो अब मुझको
हूँ शरण तुम्हारे चरणों में
मैं सुखी रहूं या दुखी रहूं
स्वीकार तुम्हारे चरणों में
कैसी भी विषम परिस्थिति हो
आधार न तेरा छूट सके
मेरी इस जीवन नइया का
सब भार तुम्हारे चरणों में
इस जग में देखूं जहां कहीं
बस तेरी ही छवि दिखलाई
मैं तू का भेद न शेष रहे
भगवान तुम्हारे चरणों में
हर समय तुम्हारा चिंतन हो
हर कर्म तुम्हारी पूजा हो
तन मन आराध्य समर्पित हो
निष्काम तुम्हारे चरणों में
प्रभु काम क्रोध का वेग न हो
मन की हलचल सब दूर हो
चिर शांति मिले स्वाधीन रहूं
अभिमान मिटे तेरे चरणों में
हो राम तुम्ही हो श्याम तुम्ही
शंकर भी हो और दुर्गा भी
बिन भेदभाव के प्यार करूँ
भगवान तुम्हारे चरणों में
सब में तू है, तुझ में सब है
ये तेरी अद्भुत लीला है
बस यही समझ मेरी बनी रहे
दिन रात तुम्हारे चरणों में
प्रभु ऐसा पूजन हो तेरा
मैं जपूँ नाम इन श्वासों से
मेरे रोम रोम से ध्वनि निकले
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में