दर दर जा कर जो न मिला वो मिल गया

रब जैसा दिखने वाला,
तकदीरी लिखने वाला,
मिल गया मुझे तकदीर से,
दर दर जा कर जो न मिला वो मिल गया इक फ़कीर से,
भर गया दामन श्रदा सबुरी से जागीर से,
दर दर जा कर जो न मिला वो मिल गया इक फ़कीर से,

जिस दिन से मिले साई की दुआ इस दिल को किसी दुःख ने ना छुआ,
बाबा की धूलि में जल कल मेरे वीगन का जंगल बसम हुआ,
मेरे हाथो पे रख के हाथ उसने दिया ऐसा आशीर्वाद उसने,
दुःख मिट गये हर पल केर के,
दर दर जा कर जो न मिला वो मिल गया इक फ़कीर से,

मन जब साई को याद देदार की जब फर्याद करे मुझे ऐसा लगता है जैसे,
वो बाते मेरे साथ करे
जब श्रद्धा मेरी भूलती है आवाज साई की आती है,
साई की हर तस्वीर से,
दर दर जा कर जो न मिला वो मिल गया इक फ़कीर से,
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