मेला लखदातार का

भक्तों की टोली चली सज धज के
श्याम के दीवाने गायें नच नच के
आया मस्त महीना छाया रंग बहार का
खाटू में मेला लाग्या मेरे लखदातार का

फागुन की द्वादशी को खाटू प्रगटे श्याम बिहारी
इसलिए फागुन में खाटू मेला लागे भारी
चहु दिशा में चर्चा कलयुग के अवतार का
खाटू में मेला लाग्या मेरे लखदातार का

रींगस से खाटू तक जो भी पैदल चलकर जाता
शीश के दानी श्याम के दर पे अपना शीश झुकाता
वो पावे अनमोल खज़ाना श्याम के प्यार का
खाटू में मेला लाग्या मेरे लखदातार का

ना कर ज़्यादा सोच बावले चल अब खाटू नगरीय
रंग बिरंगी श्याम ध्वजा ले घूमा बीच बजरिया
सत्य संग दर्शन पावां कलयुग सरकार का
खाटू में मेला लाग्या मेरे लखदातार का

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