संवारा बनरा सा लागे

भगत यो बड़ी दूर से आया बाबा का जैकार लगाया.
लगा के लाइन में नंबर जब बाबा का दर्शन पाया,
मारे ग्रेस श्याम का फेस गजब का संवारा लगे,
सजधज के यु बैठा संवारा देख के मैं तो होया वनवरा,
संवारा बनरा सा लागे,

काने में कुण्डल पेहने माथे चन्दन का टिका,
खाटू नगरी के आगे तो ताजमहल भी फीका,
बूटीफुल श्याम का मुखड़ा जमा ही चाँद सा लागे,
सजधज के यु बैठा संवारा देख के मैं तो होया वनवरा,
संवारा बनरा सा लागे,

गाला पे लाली साजे और मोर छड़ी हाथा में,
कितना प्यारा लागे संवारा कह न सकू बाता में
जिसने देखा श्याम धनि को उस की किस्मत ही जगे,
सजधज के यु बैठा संवारा देख के मैं तो होया वनवरा,
संवारा बनरा सा लागे,

सारी दुनिया में बाजे है ढंका मेरे श्याम का,
बाल न बांका हो उसका जो प्रेमी श्याम नाम का,
किशोरी दास झुकाये सिर को श्याम की ज्योति के आगे,
सजधज के यु बैठा संवारा देख के मैं तो होया वनवरा,
संवारा बनरा सा लागे,
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