अपने दिल के अरमान मैं कैसे बतलाऊँ
मैं तेरी हूँ घनश्याम अगर ना कह पाऊं
गजेंद्र की पुकार पर दौड़ा चला आया
दिल में मेरे जो दर्द था तू सुन नहीं पाया
रख ले मेरा भी मान मैं कितनी हूँ परेशां मैं कैसे समझाऊं
मैं तेरी हूँ घनश्याम अगर ना कह पाऊं
तेरे बिन तड़पती हूँ कभी देख श्याम तू आकर
मेरा कौन है दुनिया में मैं रोऊँ किसके आगे जाकर
मैं लेकर तेरा नाम यहीं पर मर जाऊं
मैं तेरी हूँ घनश्याम अगर ना कह पाऊं