बड़े बलि महान बलि वीर वर बलि-२
डंका तुम्हारे नाम का बजता गली-गली॥
बलि बलि बलि बलि, ऐ बसुर अंग बलि।
सदा तुम्हारी जय हो बजरंगबली।
भगवान रामचंद्र की भक्ति तुम्हे मिली।
दुश्मन की तोड़ देते हो गिन गिन के तुम नली॥
रणभूमि में जिस वक़्त गदा आपकी चली।
रावण के दल में मच गयी उस वक़्त खलबली-२
सुनकर दहाड़ मेरे बजरंग वीर की-२
आकाश डोल उठा और ये जमी हिली॥
ताकत तुम्हारी दुनिया में, सचमुच है बेमिशाल।
सूरज को निगल डाले तुम अंजनी के लाल॥
आँखे मिलाये तुमसे भला किसकी है मज़ाल।
भर्ता तुम्हारे नाम को सुनकरके स्वयं काल॥
जहां भी चरण धर दिए तुमने जलाल में।
वो धस गया जा करके फ़ौरन पाताल में-२
लंका जलाके तुमने पल भर में राख की-२
रावण के दिल के फिर को मुरझा गयी गली॥
पर्वत को जो उखाड़े वो, बजरंग आप है।
राहू को पछारे वो बजरंग आप है॥
लंका को जो उझाड़े वो बजरंग आप है।
झंडा विजय का गाड़े वो बजरंग आप है॥
संजीवन को लाये पर्वत उखाड़ कर।
भक्ति का दिए परिचय सीने को फाड़ कर-२
दुष्टों की कोई चाल कभी जिनपे ना चली-२
चर्चा है जिनका “शर्मा” घर-घर, गली-गली॥
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प्रो, दिवेश साहू(संपर्क 7415990599)
(जय माँ चंडी भजन मंडली, रायपुर छ. ग.)