राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता पत्ता श्याम बोलदा ।
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता पत्ता श्याम बोलता ॥
कली कली मैं महक उसी की,
हर पक्षी मैं चहक उसी की ।
नाचे मोरे कोकें, कोयलिया कारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलदा ॥
राधा नाम का खिल गया उपवन,
महक उठा सारा वृन्दावन ।
गूंजे गली गली में शोर भारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता ॥
प्रेम के जल से सिंची ये बगिया,
महके ग्वाले महकीं सखिया
सब रसिकन को लागी हैं प्यारी,
के पत्ता पत्ता श्याम बोलदा ॥
‘चित्र विचित्र’ छाई हरियाली,
फिरत राधा संग बनवारी
ऐसी पागल की बगिया है न्यारी
के पत्ता पत्ता श्याम बोलदा ॥