सुध बुध मैंने गवाई ओ मोहन
तुझ संग प्रीत लगाई ओ मोहन
मोहन मोहन मेरे प्यारे मोहन
हरे कृष्णा हरे कृष्णा बोलो हरे हरे
तुम संग रिश्ता जोड़ा कन्हाई
जग से रिश्ता तोडा कन्हाई
दूर बई निंदिया नैनं से काहे प्रेम की ज्योत जलाई
मोहन मोहन मेरे प्यारे मोहन
हरे कृष्णा हरे कृष्णा बोलो हरे हरे
दर्शन को प्यासी ये मोरी अँखियाँ
हसी है मुझपे ये मोरी सखिया
मैं क्या बोलू तुम से कान्हा सही न जाए अब ये जुदाई
मोहन मोहन मेरे प्यारे मोहन
हरे कृष्णा हरे कृष्णा बोलो हरे हरे
बरसाने में डुंडा मैंने तुझको वृन्दावन में डुंडा मैंने तुझको
जो देखा तुझ मन मन्दिर में तुझ संग मैंने प्रीत लगाई
मोहन मोहन मेरे प्यारे मोहन
हरे कृष्णा हरे कृष्णा बोलो हरे हरे