एक भाई के जैसा ही

एक भाई के जैसा ही तुझे पाया है सँवारे,
ये प्रेम नहीं टूटे कभी प्रीत नहीं टूटे,
बांध करती हु आँखों को भाई बन के तू मुस्काये,
ये रिश्ता नहीं छूटे कभी रिश्ता नहीं छूटे,

तू संग है मेरे सँवारे ना कोई कमी है,
तेरी किरपा ही रहे अँखियो में नमी है,
इक तेरे भरोसे पे दुःख भूली मैं जीवन का,
तू मुझसे नहीं रूठे कभी रिश्ता नहीं छूटे,
एक भाई के जैसा ही

तेरे कलहाइ पे प्रभु मैंने बाँधी डोर है,
कहने को है भाई बड़े तुम सा न और है,
मेरी रक्षा तेरे हाथो लाज मेरी तू ही रखता,
ये प्रेम नहीं टूटे कभी प्रीत नहीं टूटे,
एक भाई के जैसा ही

भाई बहना के प्रेम का कोई होता न मोल है
होती कोई न मिसाल ना कोई ना होती खोल है,
कहे चोखानी ओ कान्हा इस पावन बंधन की,
प्रेम गगरी न फूटे कभी रिश्ता नहीं छूटे,
एक भाई के जैसा ही
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