खुल्ला खुल्ला केश मां की,
सूरत है लुभावनी।
भक्ता के बेगी आजो जी ,
सातु बेहणीयां पावाणी।।
ग्यारवी सदी के माई,
दे पाचारण के घर मे।
कन्या जन्मी सात ,
जाकी सूरत मन भावानी,
भगता के,,,,,,,
सबसु बड़ी बिजासन माता ,
इंदरगढ़ पूजवाई सा।
दूजी कन्या रामगढ़ में ,
बैठी रामा बाई सा
भगता के,,,,,
तीजी कन्या लाल बाई,
डूंगर गढ़ पूजवाई सा।
बरवाड़ा की चौथ भवानी,
चौथी बहिण बताई सा।।
खुल्ला ,,,,,,,,,
देश धर्म हित सातु बेहणीया,
जन्मी राजस्थान में।
लखन भारती मां माया की,
झांकी है सुवाहनी।।
भगता के ,,,,,,,,,
गायक:अशोक जांगिड़
मोबाइल न:9828123517