कब से खड़ा तेरे द्वार सँवारे,

कब से खड़ा तेरे द्वार सँवारे,
मुझको भी देदे थोड़ा प्यार सँवारे,
कब से खड़ा तेरे द्वार सँवारे,

सारे जहां की बाबा मैंने ठोकर जब थी खाई,
किसी ने बाबा जब मेरी नहीं करी सुनवाई
मिला मुझको ये सच्चा दरबार सँवारे,
कब से खड़ा तेरे द्वार सँवारे,

हारे का सच्चा सच्ची तू बन के साथ निभाता,
इस झूठी दुनिया में तू ही सच्चा प्रेम निभाता,
चाहे वैरी बने ये संसार सँवारे,
कब से खड़ा तेरे द्वार सँवारे,

लख दे कर देता लखदातारी नजर कर्म तू करदे,
साजन के सिर पर भी बाबा हाथ दया का दर दे,
रोये अखियां मेरी जार जार सँवारे,
कब से खड़ा तेरे द्वार सँवारे,
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