चिठ्ठी लिख दी किशोरी जी के नाम,
भुला लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,
वसा लो मुझे बरसाना,
लिख डाला मोहपे क्या क्या बीती,
एक एक लिख दी गलती जो की थी,
अब कुछ भी हो अंजाम भुला लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,
तेरी मेरी प्रीत न हो जग ज़ाहिर,
ब्रिज मंगल से निकलू जो बाहर,
छूट जाए मेरे तन सो प्राण,
भुला लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,
जग में रहकर भजन ना हॉवे,
दुनिया से हरिदासी रोवे,
मेरी विनती ली जियो मान वसा लो मुझे बरसाना,
हो ना जाये जीवन की शाम,