चल रे बाई प्रभु की नगरियां चल री बेहना प्रभु की नगरियां,
प्रभु के नगर बड़ी सूंदर डगरियाँ ,
चल रे बाई प्रभु की नगरियां
जो भी तेरा मन में भाये सब की खेल रचाये,
ना जाने पीछे का कोई सब की प्यास बुजाये
मोह माया के जाल में भरी सोने गगरियाँ
चल रे बाई प्रभु की नगरियां
बचपन खेल कूदो में बीता जवानी होश गवाए,
अपने ही जाल में फसा बुढ़ापा सोच सोच पछताए ,
किस की खातिर तोड़े जोड़े बीती रे उमरियाँ,
चल रे बाई प्रभु की नगरियां
जीवन गवा दिया तूने अपनों को सजाने में,
परम पिता परमेश्वर को बुला दियां अनजाने में,
चल अकेला अब जीवन का छोटे रे बजरियाँ,
चल रे बाई प्रभु की नगरियां