अब तुम कब सिमरोगे राम

कब सिमरोगे राम
अब तुम कब सिमरोगे राम

जिवडा दो दिन को मेहमान
अब तुम कब सिमरोगे राम

चिंतामणि हरि नाम है ,
सफल करे सब काम
महामंत्र बोलो यही
राम राम श्री राम
अब तुम कब सिमरोगे राम

राम नाम की लूट है ,
लूट सके तो लूट
अंत काल पछताओगे ,
जब प्राण जायेगे छूट
अब तुम कब सिमरोगे राम

दीपक ले के हाथ में
सतगुरु राह दिखाए
पर मन मूरख बावरा
आप अँधेरे जाय
अब तुम कब सिमरोगे राम

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