अपने कान्हा की सुन लो शिकायत जो बताने के काबिल नहीं है
जो देता है दर्द दिलों को वो दिखाने के काबिल नहीं हैं
मैया पहली शिकायत हमारी, बागों में मिले थे मुरारी
उसने मारी जो नैन कटारी, मेरे हाथों से छूट गई डारी
मैया दूसरी शिकायत हमारी, पनघट पे मिले थे मुरारी
उसने फोड़ी जो मटकी हमारी, वो उठाने के काबिल नहीं है
मैया तीसरी शिकायत हमारी, गलियों में मिले थे मुरारी
उसने फाड़ी जो चुनरी हमारी जो ओढ़ने के काबिल ना रही
मैया चौथी शिकायत हमारी महलो में मिले थे मुरारी
पकड़ी कलाई जो हमारी जो बताने के काबिल रही ना
मैया पाँचवीं शिकायत हमारी सत्संग में मिले थे मुरारी
उसने फोड़ी जो ढोलक हमारी जो बजाने के काबिल ना रही