यशोदा माँ का लाडाला हाथो से निकल गयो जी

यशोदा माँ का लाडाला हाथो से निकल गयो जी,
माखन से लत पत हाथ से पकड़ा तो फिसल गयो जी,

देखन को तरसे गोकुल की सारी गुजरियां,
यशोदा सोचे लला को लागे न नजरियाँ ,
लुका छुपी के खेल में आँखों से ओह्जल बेहो जी,
यशोदा माँ का लाडाला हाथो से निकल गयो जी,

माखन चुराए तो भी शिकायत करती,
नही चुराए तो भी शिकायत करती,
पड़े न उनको चैन  
यशोदा माँ का लाडाला हाथो से निकल गयो जी,

मैया डांटे तो उठत बैठक लगाया कहे कान पकड़ के मैं नहीं माखन खायो,
मैं नहीं मखान खायो कह के मैया से लिपट गयो जी ,
यशोदा माँ का लाडाला हाथो से निकल गयो जी,

माखन खिलाये तो गाये का दूध बढ़ जाए,
माखन छिपाये तो गाये भी नखरे दिखाए,
माखन खिलाने वालो का घर  ओ भी खुशियों से भर गया जी,
यशोदा माँ का लाडाला हाथो से निकल गयो जी,
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