फुर्सत मिले तो कान्हा निर्धन के घर भी आना

फुर्सत मिले तो कान्हा निर्धन के घर भी आना,

सुमिरन करू मैं हर दम तेरा,
दुःख ताप हर लीजिये गा मेरा,
वैरी बना जमाना तुम भी ना भूल जाना,
फुर्सत मिले तो कान्हा निर्धन के घर भी आना,

कर देना पूरी ये अर्जु,मैं हु तेरा और मेरा है तू,
इस रीत को निभाना,मुझको गले लगाना,
फुर्सत मिले तो कान्हा निर्धन के घर भी आना,

जो भी दिया रुखा सूखा मुझे अर्पण करू श्याम वो ही तुझे,
आ कर के भोग पाना मुझे वनवरा बनाना,
फुर्सत मिले तो कान्हा निर्धन के घर भी आना,
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