चाहे पूजा करो या इबादत करो, दिल लगाने की सबकी अदा एक है,
कोई हिन्दू हो सिख या मुसलमान हो, पालने वाले सबका खुद एक है,
कोई इंसान भी इंसान को क्या देता है,
आदमी सिर्फ बहाना है खुदा देता है,
जब वो देता है तो ढेरों के ढेर देता है,
जब वो लेता है तो चमड़ी भी उदेड़ देता है,
हिन्दू का ये कहना है मुसलमान बुरा है,
मुसलमान का कहना है कि हिन्दू ही बुरा है,
हिन्दू ही बुरा है न मुसलमान बुरा है,
आ जाये बुराई पे तो इंसान बुरा है,
कोई सूफ़ी बना कोई साधु बना,
पादरी सिख ईसाई यहूदी बना,
चारों धर्मों का है बस मतलब यही,
सूरतें हैं जुदा आईना एक है,
है कन्हैया की मुरली की तानों में वो,
और है मस्जिदों की अज़ानों में वो,
गैरो काबे में क्या ढूढ़ते हो उसे,
है ठिकाने हजारों पता एक है,
Pandit Dev Sharma
7589218797