साँझ पड़ी दिन आथणयो,
तो चकवी दीना रोक,
चल चकवा उण देश में,
जहाँ रैण दिवस नहीं होय।
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम,
काया नगर रा राम रै,
गाड़ी वाला राम,
ज़रा धीरे, धीरे धीरे,
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम।
गाड़ी म्हारी रंग रंगीली,
पहिया लाल गुलाल,
हांकण वालो छैल छबीलो,
बैठण वालो राम,
ज़रा धीरे, धीरे धीरे,
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम।
गाड़ी ऊबी रेत रे माई,
मंजिल बड़ी है दूर,
धरमी धरमी पार उतरीयां,
पापी चकनाचूर,
ज़रा धीरे, धीरे धीरे,
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम।
देश देश रा वैद बुलाया,
लाया जड़ी और बूटी,
जड़ी बूटी म्हारे काम नी आई,
म्हारे राम घरा सूं टूटी,
ज़रा धीरे, धीरे धीरे,
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम।
चार जणा मिल मत्तो बणायो,
बांधी काठ की डोली,
जाय उतारी मसाणा में,
फूँक दिनी रे होळी,
ज़रा धीरे, धीरे धीरे,
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम।
घर की तिरिया यूँ उठ बोली,
म्हारी जोड़ी कुण तोड़ी,
कहेे कबीर सुणों भाई साधू,
जिण जोड़ी तिन तोड़ी,
ज़रा धीरे, धीरे धीरे,
ज़रा धीरे, धीरे धीरे,
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम।
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम।
काया नगर रा राम मारे,
गाड़ी वाला राम,
ज़रा धीरे, धीरे धीरे,
जरा धीरे गाड़ी हाँको रै,
काया नगर रा राम।