bhajan ki shubh bela nadan karo nit parmeshvar ka dhyan
भजन की शुभ बेला नादान करो नित परमेश्वर का ध्यान
यही हमारी सच्छी दौलत,
बाकी स्वप्न समान,
कोई नहीं है प्रभु के जैसा
तेरा अपना भाई,
कृपा सिंधु कहलाते हैं,
वो तब तो श्री रघुराई,
जल में भी पत्थर तैराता,
अपना ये भगवान .........
कृष्ण कन्हाई राघव माधव,
राम श्याम घनश्याम,
पतित उधारन पतित पावन,
उसके अनगिन नाम,
धनुषरधारी वंशीधारी,
कभी नरसिंह भगवान,
भजन की ........
सौप दे उसके हाथों अपनी,
ये जीवन कि डोरी
पार करेंगे भव सागर से ,
जीवन नैया तोरी
बड़ा दयालु है ये राजेन्द्र,
अपना कृपा निधान
भजन की शुभ बेला
नादान करो नित ,
परमेश्वर का ध्यान