मैं हु भेरो नाथ अघोरी मुझको मत न समज टपोरी
न हलवा पूडी आते राज मंगाए दे मुझको मदिरा मॉस
सुन ले भेरो नाथ अगोरी तेरी है गई जीब चटोरी
धर्म का नही तुझे एहसास
मिलेगा न तुझे मधिरा मॉस
मधिरा मॉस मुझे है प्यारा दे मर्जी का मुझे अहारा
वैष्णो माँ का है भंडारा नही चलेगा हुकम तुमहरा
क्यों ज्यदा करता है बकवास
मिलेगा न तुझे मधिरा मॉस
बाते तेरी नीम करेला अन्दर से तेरा दिल है मैला
आया हु मैं नही अकेला आये है मेरे साथ में चेला
क्यों करती है हमे नराज मंगाए दे मुझको मदिरा मॉस
ना कोई योगी मेरे बराबर क्यों करती है मेरा निरादर,
लिखे अनाडी शब्द मिला कर
भोजन करले भोग लगा कर,
बना है भोजन बड़ा ही ख़ास
मिलेगा न तुझे मधिरा मॉस