मंदिर से बाहर आजा माँ तेरे भगत दरों से पुकार रहे,
तेरे नव रातो में मैया रो रो के हो बेहाल रहे,
मंदिर से बाहर आजा माँ तेरे भगत दरों से पुकार रहे,
तेरे नवराते चौंकिया देखि मिल कर ख़ुशी मनाते थे,
घर घर में ज्योत जगा के माँ घर घर जगराते होते थे,
हम रो कर तुझे बुलाते है महामारी के डर से हार रहे,
मंदिर से बाहर आजा माँ तेरे भगत दरों से पुकार रहे,
तूने बड़े बड़े रक्षक को माँ तिरशूल से मार गिराया था,
इस महामारी के दानव से हर भक्त तेरा गबराया माँ ,
इको भी जड़ से उखाड़ो माँ तेरी होती सदा जैकार रहे,
मंदिर से बाहर आजा माँ तेरे भगत दरों से पुकार रहे,
विपदा की घडी जो आई हो हर दिल ने यही सुनाई हो
चेहल दीवाना अर्ज करे तू हर जन की महामाई हो,
भगतो के संकट टालो माँ तेरे दर पर सदा बहार रहे,
मंदिर से बाहर आजा माँ तेरे भगत दरों से पुकार रहे,