क्षमा करो अपराध, शरण माँ आया हूँ

क्षमा करो अपराध, शरण माँ आया हूँ
माता वैष्णो द्वार मै झुकायाँ हूँ

देवों के सब संकट तारे
रक्त बीज मधु केट्भ मारे
शुम्भ अशुम्भ असुर संघारे
किया भगत कल्याण, शरण माँ आया हूँ

बालकपन खेलों में गवायाँ
योवन विषयों में भरमाया
बुढापन कुछ काम न आया
जीवन सफल बनाओ, शरण माँ आया हूँ

धन योवन का साथ नहीं है
विदयाधन कुछ पास नहीं है
नाम बड़ा नहीं काम बड़ा नहीं
नहीं बड़ा कुल धाम, शरण माँ आया हूँ

धर्म मार्ग मुझको न सुहाते
सदा कुमार्ग मुझको भाते
मन चंचल तेरा ध्यान न करता
बड़ा चबल नादान, शरण माँ आया हूँ

घर बहार से हूँ ठुकराया
विषयों मैं भटका घबराया
समय गवां कर मैं पछताया
विषय सर्प मन दशा, शरण माँ आया हूँ

माँ विपदा ने मुझे हैं घेरा
बिन तेरे अब कोई न मेरा
दिन बंधू माँ नाम है तेरा
करो सफल निज धाम, शरण माँ आया हूँ
क्षमा करो अपराध, शरण माँ आया हूँ

माता वैष्णो द्वार मै झुकायाँ हूँ

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