माँ सरस्वती वंदना
तर्ज : मेरे देश प्रेमीओं आपस में प्रेम करो
सरगम का ज्ञान हमें दो,
स्वर ताल से हमको नवाजो,
चरणों का ध्यान हमें दो,
तुम ज्ञान की देवी हो,
मात शारदे, रखना सभा में मेरी लाज शारदे ।
१) देखो ये साजी, साथ मेरा देते ।
हर दिन हर पल मां, नाम तेरा लेते ।
इनके हाथ हैं, मेरा मुख है, और मां तेरा सहारा है ।
डूब रही मझधार में नइया, मिलता नही किनारा है ।
बेटे की नांव तार दे ।
मात शारदे, रखना सभा में मेरी लाज शारदे।
२) ऊँचे पर्वत पे, वास तेरा देवा।
तेरे चरणों में, दास करे सेवा।
काम,क्रौध,मोह,माया,लोभ को मेरे मन से दूर करो।
अपनी करुणा बरसा कर माँ, कोयले को कोहिनूर करो।
मेरे पापों को मार दे।
मात शारदे, रखना सभा में मेरी लाज शारदे।
३) भटकूं मैं तन्हा, स्वर सेे अन्जाना।
"खुशदिल" को बख्शो, ना कर बेगाना।
सात स्वरों का अमृत दे दो, करदो ये उपकार हे माँ।
लाल "जोशीला" अर्ज करे है, करलो तुम स्वीकार हे माँ।
माता के जैसा प्यार दे।
मात शारदे, रखना सभा में मेरी लाज शारदे।
लेखकः आदर्श गर्ग "जोशीला",
रामपूरा फूल, जिलाः भटिण्डा(पंजाब)
मोबाः 09023-2222-86