हो मोरी मैया की चुनर उडी जाए,
हये लेहर लेहर लहराये
लक्ष्मी चुनर जब ओड के आये,
पवन हिलोरे ऐसे खाये जे विष्णु के मन भाये,
हये लेहर लेहर लहराये
चुनर सारस्वरी ओड के आये,
पवन हिलोरे ऐसे खाये ये ब्रह्मा के मन भाये,
हये लेहर लेहर लहराये
गोरी चुनर जब ओड के आये ,
पवन हिलोरे ऐसे खाये ,
ये भोले के मन भाये हये लेहर लेहर लहराये