दिल करता माँ के रूप को देखु मैं सुबह शाम

दिल करता माँ के रूप को देखु मैं सुबह शाम,
आँखों में माँ ही माँ हो होठो पे माँ का नाम,
दिल करता माँ के रूप को देखु मैं सुबह शाम,

माँ शेर पे चढ़ी हो आँखों में प्यार हो,
सिर पे मुकट गले में मोती का हार हो,
इक हाथ चक्र धारे इक हाथ शंख  हो,
इक हाथ खडग दूजे कर में बुजंग हो,
खिलता कमल लिए हो,शृंगार सब किये हो,
देखु मैं सुबह शाम आँखों में माँ ही माँ हो,
होठो पे माँ का नाम,
दिल करता माँ के रूप को देखु मैं सुबह शाम,

भागे बुरी बलाये मैया के संख से सब कष्ट नष्ट होते माँ के बुजंग से,
दे छोड़ पीछा माया मैया के चाकर से बच जाए जीव जग में सारे तू चक्र से,
माँ खडग जब उठाये दुःख पास भी ना आये सुख देता मन का काम ,
आँखों में माँ ही माँ हो होठो में पा का नाम,
दिल करता माँ के रूप को देखु मैं सुबह शाम,

लागि रहे लगन मैया की धुन में हर दम ये मन रहे मगन,
मेरे हिरदये में ज्योति माँ की जला करे माँ है जगत की माता सब का भला करे,
विनती यही है माँ से जाऊ मैं जब झा से पाउ मैं माँ का धाम,
आँखों में माँ ही माँ हो होठो में पा का नाम,
दिल करता माँ के रूप को देखु मैं सुबह शाम,
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