हरी नाम का कर सुमिरन शक्ति मिल जायेगी ,
मोह मया के बंधन से मुक्ति मिल जायेगी ,
हरी नाम का कर सुमिरन शक्ति मिल जायेगी ,
तू व्यर्थ में उलझा है माया की झाडी में,
सब छोड़ के आजा तू सत्संग फुलवाड़ी में,
सत्संग से बंदे सद बुद्धि आएगी,
मोह मया के बंधन से मुक्ति मिल जायेगी ,
हरी नाम का कर सुमिरन शक्ति मिल जायेगी ,
मन मीत पीया बंधू सब झूठे नाते है ,
अपनों के छल ही तो हम को तड़पाते है,
सच्चा है प्रभु रिश्ता सच बात ये आये गी,
मोह मया के बंधन से मुक्ति मिल जायेगी ,
हरी नाम का कर सुमिरन शक्ति मिल जायेगी ,
जप तप साधन ही तो अमृत है जीवन का,
हरिनाम से कर शुद्धि तू अपने तन मन का ,
प्रभु नाम के अमृत से निर्मल ता आएगी,
मोह मया के बंधन से मुक्ति मिल जायेगी ,
हरी नाम का कर सुमिरन शक्ति मिल जायेगी ,
तेरा भाग्ये अमर है तू इस जग में आया है,
भगवान की किरपा तुझपे जो नर तन पाया है,
अंकुश तेरी एक काय प्रभु काम जो आएगी,
मोह मया के बंधन से मुक्ति मिल जायेगी ,
हरी नाम का कर सुमिरन शक्ति मिल जायेगी ,