वृंदावन दी पावन धरती ढूंढ ढूंढ के हारी,
तेरा पता नहीं मिला ओ बनवारी....
बरसाने दिया सखिया कोलो बार बार मै पुछया,
किदे ते मारी पिचकारी किदे ते रंग सुटया,
होली खेलन आया छलिया उड़ गया मार उडारी,
तेरा पता नहीं मिला.......
श्याम गया ता भूल गईया सखिया पानी लेन ना आइया,
पानी दिया लहरा ने अपने दिल दिया आन सुनाईया,
मुरली बजे ना पायल बजदी तुर गया श्याम मुरारी,
तेरा पता नहीं मिला.......