जामसवाली के मंदिर में बैठे हुए है महाबली,
जय हो जय हो बजरंग बलि,
सिंधुरी है जिसकी मूरत है आकर्षत है,
जिसकी सूरत दर्शक मोहित
करने वाली मुर्दा मन को,
मोहने वाली दर्शन से ही जिस मूरत के सिर से सारी बला टली,
जय हो जय हो बजरंग बलि,
महिमा जिसकी कौन बखाने,
जाने तो रघुनन्दन जाने,
शक्ति जिसकी अब जन जाने,
भगति ऐसी जिसकी भगति मान गए है,
दसा नन जैसे महाबली,
जय हो जय हो बजरंग बलि,
द्वार तुम्हारे जो भी आये
जो भी आये दर्शन पाए,
श्रद्धा से जो टेर लगाए,
धन हो जाए किरपा तेरी जो हो जाए तेरे दर्शन से हर मन की खिली है हर कली कली
जय हो जय हो बजरंग बलि,