तीरथ ना देखा प्रयाग जैसा,
नाग नहीं कोई शेषनाग जैसा,
चिन्ह नहीं कोई सुहाग जैसा,
तेज नहीं कोई भी आग जैसा,
जल नहीं कोई गंगाजल जैसा,
फूल नहीं कोई कमल जैसा,
विषैला ना कोई गरल जैसा,
आज नहीं दिन देखा कल जैसा,
जान लिया मान लिया,
सबको पहचान लिया,
चंदा भी देखा और तारे भी देखे,
चंदा भी देखा और तारे भी देखे,
देखा बड़ा आसमान ऐसा,
माली भी देखा और सुमाली भी देखा,
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा,
देखा ना वीर हनुमान जैसा,
देखा बड़ा आसमान ऐसा,
देखा ना वीर हनुमान जैसा।।
अरे पूरब से सूरज निकलता,
नभ लालिमा से लजाए,
लाल जोड़े में जैसे दुल्हनिया,
घूंघट मे शरमाये,
अवतारी नहीं कोई राम जैसा,
पितृभक्त नहीं परशुराम जैसा,
छलिया नहीं घनश्याम जैसा,
धाम नहीं विष्णु के धाम जैसा,
जान लिया मान लिया,
सबको पहचान लिया
रावण भी देखा अहिरावण भी देखा,
रावण भी देखा अहिरावण भी देखा,
पर दानी करण ना महान जैसा,
धर्मी भी देखे अधर्मी भी देखे,
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा।।
चक्र सुदर्शन को दबाकर,
मान गरुड़ का घटाया,
युद्ध किया शंकर से भारी,
राम से रार मचाया,
व्रत नहीं कोई निराहार जैसा,
प्यार नहीं माता के प्यार जैसा,
शस्त्र नहीं कोई तलवार जैसा,
पुत्र नहीं श्रवण कुमार जैसा,
जान लिया मान लिया,
सबको पहचान लिया,
पंडे भी देखे इनके झंडे भी देखे,
पंडे भी देखे इनके झंडे भी देखे,
झंडो पे देखा निशान ऐसा,
अपने भी देखे पराए भी देखे,
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा।।
है ग्यारवे रूद्र बजरंग,
जब जन्म पृथ्वी पे पाया,
बाल अवस्था मे रवि को,
फल समझ कर खाया,
नारा नहीं सत्यमेव जैसा,
देव नहीं कोई महादेव जैसा,
धर्म नहीं कोई ग्रीष्ठ धर्म जैसा,
कर्म नहीं कोई सत्कर्म जैसा,
जान लिया मान लिया,
सबको पहचान लिया,
स्वर भी देखे स्वर वाले भी देखे,
स्वर भी देखे स्वर वाले भी देखे,
पर स्वर ना कोयल की तान जैसा,
अच्छे भी देखे मवाली भी देखे,
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा।।
देखा बड़ा आसमान ऐसा,
देखा ना वीर हनुमान जैसा।।