एह मैया तेरे कदमो की धूल बन के रहु

एह मैया तेरे कदमो की धूल बन के रहु
हो जाऊ तुझमे मैं शामिल के तू ही है मेरी मंजिल के सुबह शाम तुझे रहु,
एह मैया तेरे कदमो की धूल बन के रहु

किस्मत की जो रेखा है बोलो किसने देखा है,
कहते है रख ती जिसे तेरी कलम का लेखा है,
तेरे बारे में क्या कहु जगदम्बे तेरे कदमो की धूल बन के रहु,

इक तरफ है ये दुनिया एक तरफ है नाम तेरा,
स्वर्ग बिछोड़ा फीका होगा कटरा है जो धाम तेरा,
है तेरा क्या जादू लाटा वाली तेरे कदमो की धूल बन के रहु,

मिलती है पंडित से सीख देदे रेहमत की तू भीख
हु सलामत तुझसे ही वरना कौन सुनेगा मेरी चीख,
हर शेह में तू ही तू शेरावाली तेरे कदमो की धूल बन के रहु,
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