तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ के अब तेरा साथ नहीं छूटे
मेरा तुम पे रहे विश्वास के अब तेरा साथ नहीं छूटे
इक दौर था वो जीवन का मेरे जब अपने किनारा कर बैठे
कांधा भी ना था रोने को कोई देखे हैं समय ऐसे ऐसे
फिर तुमसे हुई मुलाकात के अब तेरा साथ नहीं छूटे
मेरा तुम पे रहे विश्वास के अब तेरा साथ नहीं छूटे
तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ..........
तूफानों में कश्ती थी मेरी कहीं कोई किनारा ना सूझा
फिर किसने निकाला तूफां से इक इक ने बाद में ये पूछा
मैंने ले लिया तेरा नाम के अब तेरा साथ नहीं छूटे
मेरा तुम पे रहे विश्वास के अब तेरा साथ नहीं छूटे
तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ..........
अब तो बस एक तमन्ना है तेरे चरणों का मैं दास बनु
नहीं चिंता कोई फ़िक्र हो मुझे हरी तेरी शरण में सदा रहूं
रहे कृपा की बरसात के अब तेरा साथ नहीं छूटे
मेरा तुम पे रहे विश्वास के अब तेरा साथ नहीं छूटे
तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ..........