तेरी सांवरी सूरत पर मैं वारी रे

मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पर मैं वारी रे....

जमुना तट पर गाय चरावे,
मधुर मधुर मुरलिया बजावे,
कांधे कमरिया कारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पर मैं वारी रे.....

वृंदावन हरि रास रचाए,
गोप गोपियों संग मिल जावे,
नूपुर की धुन बड़ी प्यारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पर मैं वारी रे.....

मोर मुकुट पीतांबर सोहे,
देख रूप मुनि मन जानू मोहे,
कुंडल की छवि तेरी न्यारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पर मैं वारी रे.....

भगत हेतु हरी रूप बनाया,
ब्रह्मानंद परम सुख पाया,
चरण कमल बलिहारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पर मैं वारी दे......
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