मैं वृन्दावन नु जाना ए मेरा ठाकुर वाजा मार दा

मैनु ब्रिज दे सपने आउंदे ने इंज लगदा श्याम बुलाउंदे ने,
मैनु उठदे बहन्दे सोहन्दे जगदे नशा रवे दिल दार दा,
मैं वृन्दावन नु जाना ए मेरा ठाकुर वाजा मार दा,

बांके बिन मैनु कुझ न भावे दिने रात ओह्दी याद सतावे ,
याद ओह्दी विच कमली होइ जग पेय ताने मार दा,
मैं वृन्दावन नु जाना ए मेरा ठाकुर वाजा मार दा,

हाय लोको मेरी गल न टोको,
वृन्दावन जानो न रोको संता भगता नाल नजारा लूटन देयो दीदार दा,
मैं वृन्दावन नु जाना ए मेरा ठाकुर वाजा मार दा,

वृन्दावन जग तो न्यारा है प्रेमा भगति दा द्वारा है,
कहे मधुप एह ठाकुर द्वारा मैं सारे संसार दा,
मैं वृन्दावन नु जाना ए मेरा ठाकुर वाजा मार दा,
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