कल कल करते सारा ही ये जीवन निकल चला,
अब तो तू एह मुर्ख बंदे काम भला,जपले साईं राम जपले साईं राम,
आज नही मैं कल कर लूँगा समय गवाया खुभ,
कौन से पल में थम जाए साँसे बात गया तू भूल,
कब जाने दिखला दे तुझको पगले मौत कला ,
अब तो तू एह मुर्ख बंदे काम भला,जपले साईं राम जपले साईं राम,
पत्थर जैसे जीवन को तू हीरा मान रहा
माया की इस नगरी को तू सची जान रहा,
वक़्त के आगे एक चले न सब ने हाथ मला,
अब तो तू एह मुर्ख बंदे काम भला,जपले साईं राम जपले साईं राम,
तेरा सिका नहीं चलेगा चलाके देख ले ,
कान खोल के सुन मुख मेरी बाते ये एक रे,
सुबह का सूरज होते होते होते सांझ डला,
अब तो तू एह मुर्ख बंदे काम भला,जपले साईं राम जपले साईं राम,