क्या क्या रंग दिखाए तूने क्या क्या रंग दिखाए है,
जब से हम अपनी नगरी से तेरे नगर में आये है,
सुख के दर्पण में भी देखे हमने दुःख के चेहरे ,
साई की इस उच्च नीच के मतलब कितने गहरे,
हम न समजे उसे तो कई बार समजाये है,
क्या क्या रंग दिखाए तूने क्या क्या रंग दिखाए है,
दुनिया है चमकीली रेती दूर से लागे पानी,
प्यास बुझाने प्यास गए तो असली सूरत जानी,
नकल का दामन छोड़ दिया है असल से जा टकराये है
क्या क्या रंग दिखाए तूने क्या क्या रंग दिखाए है,
तुझ में जो विश्वाश हमारा वो दुगना कर देना,
अपने उजले हाथो से मन को उजला कर देना,
हम कर्मो का मैला आंचल तेरे सामने लाये है,
क्या क्या रंग दिखाए तूने क्या क्या रंग दिखाए है,