कोई तो मेरे घनश्याम से कहदे
अरे वो मथुरा ना जाए, वो वापस लौट के आए
रो रो कहती बृज की नारी, ना जाओ बनवारी
तुम बिन हमरी कौन सुनेगा, सावरिया गिरिधारी
कोई तो मेरे घनश्याम से कहदे...
तुम तो हमको छोड़ चले हो, बोलो हम कहाँ जाएं
दर्शन की यह प्यासी अँखियाँ रो रो नीर बहाए
कोई तो मेरे घनश्याम से कहदे...
यह जीना भी क्या जीना है, तुम बिन मेरे मोहन
सूना सूना मधुबन लागे, सूना हो गया जीवन,
कोई तो मेरे घनश्याम से कहदे...
तुम्हे तो आदत हो गयी है, हमको तड़पाने की
हमे भी आदत हो गयी है, हस कर सह जाने की
कोई तो मेरे घनश्याम से कहदे...
मनमोहन चित्त सांवरे प्रेम नगर के राजा
बांकी अदा से हस कर पकड़ो, पकड़ो हाथ हमारा
कोई तो मेरे घनश्याम से कहदे...
जब से श्याम तुम दूर गए हो, भूल गया जग सारा
मैं तो तुम को भाऊ ना भाऊ, तू तो भा गया मुझको
कोई तो मेरे घनश्याम से कहदे...