करुणानिधि कृपा करके अवतार लीजिये,
भक्तों पे अपने इतना सा उपकार कीजिये।।
माथे पे फिर बही मुकुट घुघराले बाल हों,
फिर से वो मोर पंखी सिर पे धार लीजिये,
भक्तों पे अपने इतना सा उपकार कीजिये।।
रंग श्याम हो तुम्हारा गुलाबी से गाल हों,
आंखों में तिरछा काजल फिर से डार लीजिये,
भक्तों पे अपने इतना सा उपकार कीजिये।।
पिताम्बरों का फिर बही तन पे लिबास हो,
होठों पे वो ही प्यारी मुरली धार लीजिये,
भक्तों पे अपने इतना सा उपकार कीजिये।।
"राजेन्द्र" की श्रीकृष्ण से बस एक विनती है,
भक्तों को देखे दर्शन प्रभु उद्धार दीजिये,
भक्तों पे अपने इतना सा उपकार कीजिये।।
गीतकार/गायक-राजेंद्र प्रसाद सोनी