नित बंसरी की तान सुनाइयो न,
फिर श्याम हमे अपनाइयो न,
अपनाइयो तो सुनियो लालन फिर छोड़ हमे कित जाइयो न,
नित बंसरी की तान सुनाइयो न,
तेरी बंसुरिया की धुन अति प्यारी,
अधरों पे लागे बड़ी ही निराली,
वो जादू घरी तान सुनाइयो न,
फिर श्याम हमे अपनाइयो न,
चंचल चतुर बाजे रे मुरलियां,
सुर भरी कान्हा तेरी अंगुलिया
वो अंगुली से तान स्जाइओ न
फिर श्याम हमे अपनाइयो न,
भूल गई पनघट पे गगरियाँ,
सुध बुध खोई देखो संवरिया,
इन नैनो में श्याम स्माइयो न,
फिर श्याम हमे अपनाइयो न,