ओ मनमोहन कृष्ण कन्हैया

ओ मनमोहन कृष्ण कन्हैया,
हाथ छुड़ा के कहाँ चले...

बंसी बजाके रास रचाकर,
गोपी नचा के कहाँ चले,
ओ मनमोहन कृष्ण कन्हैया....

माखन खाया मटकी फोड़ी,
छुपते छुपाते कहाँ चले।।

भरी सभा मे द्रुपदसुता का,
चीर बढ़ा के कहाँ चले,
ओ मनमोहन कृष्ण कन्हैया....

गाय चराई वंशी बजाई,
ग्वाल सखा संग कहाँ चले,
ओ मनमोहन कृष्ण कन्हैया....

यमुना में जा गेंद उछाली,
नाग नथैया कहाँ चले,
ओ मनमोहन कृष्ण कन्हैया....

अर्जुन का सब मोह मिटाके,
गीता गाके कहाँ चले,
ओ मनमोहन कृष्ण कन्हैया....

तुम्हर पुकारे हम सब "राजेन्द्र",
विश्व रूप तुम कहाँ चले,
ओ मनमोहन कृष्ण कन्हैया....

गीतकार/गायक-राजेंद्र प्रसाद सोनी
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