भजो मन हरी की माला

भजो मन हरी की माला,
जग का वो प्रतिपाला है वो दीं दयाला,
गोविंदा गोपाला कानुड़ा नन्द लाला,

सुर दास ने भज कर पाई सब से निराली ज्योति,
सारे जग का दिया सूर्य ने भगति रस का प्याला,
सूर्ये का श्याम निराला
गोविंदा गोपाला कानुड़ा नन्द लाला,

देर न कर अब तू शन भर की प्रभु की शरण चला जा,
जीवन तेरा तर जायगा,
भज कर नाम गोपाला,
भज मन कृष्ण गोपाला मोहन मुरली वाला,

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