बोलो जी दयालु कब आओगे
कब हमको खाटू जी लेकर जाओगे
हम तो हैं खाटू की गलियों के दीवाने
बोलो कब गलियां वो दिखाओगे
बोलो श्याम बोलो कब आओगे
बोलो जी दयालु .............
इतनी ग्यारस बीती बाबा लेने क्यों ना आये
तो नहीं तो ये बालक कैसे भजन सुनाये
कब मीठे भजनो में रंग जमाओगे
कब हमको खाटू जी लेकर जाओगे
बोलो जी दयालु .............
कब वो मेला ग्यारस वाला गलियों में लगेगा
तू ही बता इन नैनो से कब तक ये नीर बहेगा
कब तक हमको ऐसे ही सताओगे
कब उन प्यारी गलियों में घुमाओगे
बोलो जी दयालु .............
कैसा ग्रहण लगा धरती पर कैसा समय ये आया
लीलाधर तेरी लीला का पार ना कोई पाया
कब ये घोर अँधेरा मिटाओगे
कब अपनी वो मोरछड़ी लेहराओगे
बोलो जी दयालु .............
खाटू क्या भारत क्या ये संसार भी है हारा
अब तो आजा बनके प्यारे हारे का सहारा
कब सागर के नैनो में समाओगे
अब भी नहीं आये तो फिर कब आओगे
बोलो जी दयालु .............