श्याम जी विपदा क्यों सताती है

श्याम जी विपदा क्यों सताती है,
मुश्किलों में जान जाती है,

कोई ना जिनका वो किसको सुनाये,
हालत अपने वो किसको दिखाए,
हर ख़ुशी दर से लौट जाती है,
मुश्किलों में जान जाती है,
श्याम जी विपदा क्यों सताती है,

हर अगले कदम पे है गम के मारे,
कोई ना उनका है बेसहारे,
गर्गशी उनको मुँह चिढ़ाती है,
मुश्किलों में जान जाती है,

जिनको नहीं है तेरा सहारा,
किनारे पे बैठा डूबा वेचारा,
जिंदगी हार मान जाती है,
मुश्किलों में जान जाती है,

जितनी बड़ी हो विपदा की घड़ियाँ,
आशा की बाबा टूटे न कड़ियाँ ,
ये आस ही बाजी हर जीता ती है,
तुझसे ही श्याम ये मिलाती है,
मुश्किलों में जान जाती है,
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