साईं मैं होता तेरे दर का मोर

साईं मैं होता तेरे दर का मोर,
ख़ुशी मानता दर्शन पाता,तेरे दवार पे करता छोर,
साईं मैं होता तेरे दर का मोर,

मैं तेरे अस्थान का पत्थर होता,
मैं तेरे चरणों का कंकर होता,
तेरे चरण को चूम ता साईं,
तुम मेरे चित चोर,
साईं मैं होता तेरे दर का मोर

साईं मैं तेरे जिस्म का कपडे होता,
पाक शरीर से तेरे लिपटा रहता,
बांध के अपने मुझको देख ता आप की और,
साईं मैं होता तेरे दर का मोर...

साईं में तेरे पानी का होता प्याला,
बाबा जादू  प्यार का तुमने डाला,
तेरी राह की धुल में होता,
मेरे कन्हिया किशोर,
साईं मैं होता तेरे दर का मोर..

साईं मैं तेरे दवार का घंटा होता हर दम दवार तेरे बजता रहता,
जी भर के मैं दर्शन करता साईं चंदा मैं चकोर,
साईं मैं होता तेरे दर का मोर...
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