वही मुरली वाला वही डमरू वाला,
साई शिरडी वाला,
खोलते हो साई अरे किस्मत का ताला,
हाथ में चिलम साई का शृंगार है,
हर मज़हब का शिरडी ही दवार है,
साई साँचा नाम है तारने वाला,
खोलते हो साई किस्मत का ताला,
कभी पालकी पे बैठे कभी निम् छाव में,
बिक्शा मांगे घर घर साई वो भी नंगे पाँव रे,
पानी से दीप जला कर किया है उजाला,
खोलते हो साई किस्मत का ताला,
जो भी गम का मारा साई का है प्यारा,
तात्या को तारा तूने देखा सब ने नजारा,
शिरडी में आके बने जग रखवाला,
खोलते हो साई किस्मत का ताला,