रेहम नजर करो अब मोरे साई
तुम बिन नहीं मुझे माँ भाप भाई
मैं अँधा हु बंदा तुम्हारा मैं न जानू अल्ल्हा इलहाइ,
साई नाथ हो मेरे साथ अगर समजो मेरे जज्बात,
रेहम नजर करो अब मोरे साई
दुःख के बदल गिर गिर आये बरसे मोरे अंगना,
तेरे जैसे को सिखाये भगति का मुझे ढंग न
साई जामना मैंने गवाया साथी आखिर का मिला कोई ना ही,
रेहम नजर करो अब मोरे साई
साई तू सांसो का संचालक साई तू मेरा पालक,
भूल चूक तू मेरी भूलना साई मैं तेरा बालक
अपने मुर्शिद का दास घनु है अपनी मजीद है जादू घनु है,
रेहम नजर करो अब मोरे साई
घणो की रचना में मैंने है अपने भाव मिलाये,
दिल के कुछ अरमान साई तुझ तक है पोंछाये,
जैसे बनो है दास घणो के बनो संजीव के हम रही,
रेहम नजर करो अब मोरे साई