जो भी आया द्वार तिहरे खाली हाथ न लौटा,
जिस के सिर पर हाथ तिहारे उसका जीवन पलटा,
एक पल में जो रंक था वो राजा बन कर बैठा,
जिसके सिर पर हाथ तिहारे उसका जीवन पलटा,
साई बाबा ओ साई बाबा.....
साँचा है दरबार तिहारा स्वर्ग का है ये द्वारा,
भक्तो की है भीड़ यहाँ पर साई नाम का नारा,
जानता है तू सभी को साँचा कौन है झूठा,
जिस के सिर पर हाथ तिहरे उसका जीवन पलटा,
साई बाबा ओ साई बाबा.....
लीला तेरी न्यारी उसको कोई जान ना पाया,
जिसने धया तुझको उस पर रही है तेरी माया,
एहम भाव से जो भी आया उसका भरम है टुटा,
जिस के सिर पर हाथ तिहरे उसका जीवन पलटा,
साई बाबा ओ साई बाबा.....